शुक्रवार, सितंबर 23, 2005

आयेगा कौन?

पतझड़ है
पीले पत्ते हैं
गर्म हवा है
धूप बड़ी है

होठों पर
मुस्कान कुटिल
लेकर यह
तक़दीर खड़ी है

सहमा-सा
है एक गीत
इसे संग मेरे
अब गायेगा कौन?

जीवन के इस
मोड़ पे तन्हा
खड़ा हूं, संग
आयेगा कौन?

- पराग

6 टिप्‍पणियां:

  1. पराग जी, आपके 'बीच-बाज़ार' का और आपका हिन्‍दी ब्‍लॉग मण्‍डल के बीच हार्दिक स्‍वागत है। अपनी कलम (की-बोर्ड) इसी तरह अनवरत चलाते रहें।

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  2. बेनामी6:55 pm

    बहुत ही सुंदर! बहुत प्रसन्नता हुई आपको हिंदी ब्लाग मंडल मे पा कर.

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  3. अरे अकेले कहां हो भाई हम लोग हैं न! एक ई-मेल की दूरी पर तमाम लोग लगे हैं। हम खुश हैं आपको अपने बीच पाकर।स्वागत है बीच बाजार का भरे ब्लाग मंडल में।

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  4. स्वागतम् पराग । शुभकामनायें कि बीच-बाजार में हमेशा चहल-पहल बनी रहे ।

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  5. ब्लागिंग में तो साथ देने भरकस लोग आ जाऐ'गे. बाकी साथ देने वाली ढूंढने के लिए शादी डाट काम की और रुख करें.

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  6. बेनामी7:00 am

    अब आप अकेले नही हो, देखते जाओ कितने चिठ्ठाकार आते है आपके साथ

    आशीष

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