बीच-बजार
खड़ा कबीरा बीच-बजार, ना कोई बैर ना कोई प्यार
बुधवार, सितंबर 14, 2005
बीच गमों के हो इक आशा
जीवन है इतना सीधा-सा.
दुख लाखों भी सह लेंगे हम
प्यार करे कोई थोड़ा-सा.
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