बुधवार, दिसंबर 14, 2005

संसद में सवाल

कबीरा बेचारा, औट रहा था बैठे-बैठे कपास कि बगल में रहने वाला रामलाल दौड़ा चला आया. चेहरा रुआंसा-सा हो रहा था. पूछा कबीरे ने कि भैया रामलाल क्या बात है, इस तरह मुंह क्यों लटकाए हुए हो? रामलाल बोला, भाई कबीरे, मैं संसद में एक सवाल पूछवाना चाहता हूं. आश्चर्य हुआ कबीरे को, ऎसी क्या बात हो गयी है, जिसके बारे में संसद जैसी खासमखास जगह पर चर्चा हो. रामलाल से दरियाफ़्त किया तो वह बोला - भाई कबीरे, मैं चाहता हूं कि संसद में यह सवाल पूछा जाए कि मेरी धर्मपत्नी रामप्यारी मुझसे प्यार करती है या नहीं?

कबीरा बेचारा, औन्धे मुंह गिरते-गिरते बचा. बरस पड़ा वह रामलाल पर - समझ क्या रखा है तुमने देश की संसद को, घसियारों की चौपाल? कितने ज़रूरी काम होते हैं वहां लोगों को. हंगामा, शोर-शराबा, नारेबाज़ी, वाकआउट, कभी-कभी मारा-पीटी - क्या-क्या नहीं करना पड़ता है? ऎसे में तुम्हारे जैसे बेकार लोगों के फ़ालतू सवालों को पूछने की फ़ुर्सत किसे है?

नाराज़ हो गया रामलाल, कहने लगा कि तुमने मुझे क्या इतना गया-गुज़रा समझ रखा है? मेरा प्रश्न मेरे जीवन के लिये किसी भी सवाल से ज़्यादा महत्वपूर्ण है. और फ़िर मैं कहां कोई फ़ोकट में सवाल पूछने के लिए कह रहा हूं किसी को? पूरे दस हज़ार रुपए देने के लिये तैयार हूं मैं. तब कबीरा ने समझाया रामलाल को कि कैमरे के सामने सवाल पूछने के लिये पैसे लेते हुए जो लोग धराए हैं, उनमें से भी किसी ने १५ ह्ज़ार से कम नहीं लिये थे. काफ़ी मोल-भाव करने के बाद रामलाल भी आखिर १५ हज़ार देने के लिये राज़ी हो ही गया.

फ़िलहाल कबीरे के पास पच्चीस सवाल, एडवांस सहित इकट्ठा हो गये हैं. उनमें से कुछ हैं - मेरी भैंस को डंडा किसने मारा? मेरी मुर्गी के अंडे किसने चुराए? मेरी गैर-हाज़िरी में मेरा पडौसी मेरी बीवी से क्या गुटुर-गू करता है? मेरा पति कब मर कर मेरा पिंड छोड़ेगा? मेरे खूसट बाप ने सारी जायज़ाद किसके नाम लिखी है? इन सवालों के लिये कबीरा को १५ हज़ार से लेकर एक लाख रुपए तक एडवांस मिल गये हैं. संभावना है कि इसी सत्र में ये सवाल पूछे जायेंगे. यदि आपका कोई सवाल हो तो तुरंत कबीरा से संपर्क करें.

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